सच शैलेन्द्र नहीं है सानी (पुण्य स्मरण, १४ दिसम्बर) सरल - सहज शब्दों में देखी, दर्शन की गहराई हिन्दी फिल्मों के गीतों को, तुमने दी ऊँचाई युग बीते पर आज भी ताज़ा, जज्ब़ातों की खुशबू