मैं अक्सर कविता.. हवाओं में लिखना पसंद करता हूं, या वो कहीं कोई रेत हो.. या वो कहीं कोई दीवार। क्योंकि किताब-कलम में अब वो बात नहीं रही। नालंदा इतिहास भी देखा था.. किताब जल गया, खाक हो गया। जो दीवार पर लिखा था..वही काम आया। बस यही कहना चाहूंगा.. अपने बेटे के लिए कभी किताब मत छोड़ो। वर्ना कहेंगे बाप कायर था, संघर्ष न कर पाया तो बखान कर दी। छोड़ना ही है... तो कंक्रीट पे दाग छोड़ो। कम से कम दरार देखेंगे... तो मेहनत की दाद देंगे। ___ Adv. Abhinav Anand Biharibabu ©Biharibabu Abhinav* #ChainSmoking