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जब अपने ही नहीं समझ पाते हो हमे, तो गैरों से क्या

जब अपने ही नहीं समझ पाते हो हमे, 
तो गैरों से क्या उम्मीद कर उनसे लड़ना।

एक बार बिखर के समेट लिया खुद को,
अब क्या यूं छोटी छोटी बातों पर बिखरना।

पहले की बात कुछ और ही थी,
अब भूल गए हम किसी के लिए ठहरना।

जब सबने हाथ छोड़ दिया है हमारा
तो सफ़र में अकेले चलने से क्या डरना।

जब अपने ही नहीं समझ पाते हो हमे, 
तो गैरों से क्या उम्मीद कर उनसे लड़ना। #thahrna
#nojotopoem
#motivationalQuotes
#mere_alfaaz
जब अपने ही नहीं समझ पाते हो हमे, 
तो गैरों से क्या उम्मीद कर उनसे लड़ना।

एक बार बिखर के समेट लिया खुद को,
अब क्या यूं छोटी छोटी बातों पर बिखरना।

पहले की बात कुछ और ही थी,
अब भूल गए हम किसी के लिए ठहरना।

जब सबने हाथ छोड़ दिया है हमारा
तो सफ़र में अकेले चलने से क्या डरना।

जब अपने ही नहीं समझ पाते हो हमे, 
तो गैरों से क्या उम्मीद कर उनसे लड़ना। #thahrna
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