हमेशा की तरह आता है वो ... रंग बदल कर , अावाज बदल कर सुर और साज बदल कर आता है हर बार अलग अलग तरह से , अलग अलग वजह से और फिर जाना जाता है एक ही नाम से जो ना सोचता है आगाज को ना डरता है अंजाम से जो ना बिकता है , किसी दाम से कभी इश्क, कभी मुहब्बत कभी आशिकी के नाम से आता है वो ,बिन वजह और ठग कर जाता है मुझे और मेरी कभी गलती, कभी बेवकुफी कभी मूर्खता कहलाती है। अब तो मुझे आदत सी हो गई है और मै करता हूं इंतज़ार तू क्यो नहीं आया इस बार तू कहा है प्यार!!! कहां हो