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विचरती कल्पनाएं मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक प

विचरती कल्पनाएं
मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक पार्क नजर आता है
बड़ा ही मनोरम हृदयस्पर्शी नज़ारा नज़र आता है 
मोटे ,पतले ,जवान ,बुजुर्ग सभी चहल कदमी करते नज़र आते हैं
कुछ बेंच पर बैठे आसन लगाए ध्यान मग्न नज़र आते हैं 
कई चलते-चलते अपने मोबाइल में व्यस्त नजर आते हैं 
कुछ लोगों की ज़ोर से हंसने की आवाज तालियां बजाने की आवाज़
मानो शांत वातावरण में मधुर संगीत घोलती हैं 
हरे-भरे वृक्ष, पौधे, खिलखिलाते फूल मुझे मुस्कुराने के लिए प्रेरित करते हैं 
ठंडी हवाओं के झोंके मुझे गुनगुनाने के लिए कहते हैं
पक्षियों की चहचहाहट कुछ मधुर सा संगीत सुनाती है
हर रोज़ यह पार्क मुझे बड़े ही दिल से बुलाता है 
मेरी मजबूरियों पर भी मुस्कुराता है 
मैं रोज़ पार्क से कहती हूं जिस दिन मैं रिटायर हो जाऊंगी 
ख़ुशी-ख़ुशी तुम्हारे परिसर में विचरण करने जरूर आऊंगी 
पार्क मुझे देख कर मुस्कुराता है मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा देती हूं 
अपना वादा निभाने का आश्वासन दे देती हूं
उसे भी मेरी मजबूरी समझ आती है 
अपनी डालियों को लहरा कर मेरा अभिवादन कर देता है 
यह कहानी पिछले 19 सालों से चली आ रही है 
इस पार्क ने मुझे बदलते देखा मैंने इसको बदलते देखा है
@_muskurahat_ विचरती कल्पनाएं
मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक पार्क नजर आता है
बड़ा ही मनोरम हृदयस्पर्शी नज़ारा नज़र आता है 
मोटे ,पतले ,जवान ,बुजुर्ग सभी चहल कदमी करते नज़र आते हैं
कुछ बेंच पर बैठे आसन लगाए ध्यान मग्न नज़र आते हैं 
कई चलते-चलते अपने मोबाइल में व्यस्त नजर आते हैं 
कुछ लोगों की ज़ोर से हंसने की आवाज तालियां बजाने की आवाज़
मानो शांत वातावरण में मधुर संगीत घोलती हैं
विचरती कल्पनाएं
मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक पार्क नजर आता है
बड़ा ही मनोरम हृदयस्पर्शी नज़ारा नज़र आता है 
मोटे ,पतले ,जवान ,बुजुर्ग सभी चहल कदमी करते नज़र आते हैं
कुछ बेंच पर बैठे आसन लगाए ध्यान मग्न नज़र आते हैं 
कई चलते-चलते अपने मोबाइल में व्यस्त नजर आते हैं 
कुछ लोगों की ज़ोर से हंसने की आवाज तालियां बजाने की आवाज़
मानो शांत वातावरण में मधुर संगीत घोलती हैं 
हरे-भरे वृक्ष, पौधे, खिलखिलाते फूल मुझे मुस्कुराने के लिए प्रेरित करते हैं 
ठंडी हवाओं के झोंके मुझे गुनगुनाने के लिए कहते हैं
पक्षियों की चहचहाहट कुछ मधुर सा संगीत सुनाती है
हर रोज़ यह पार्क मुझे बड़े ही दिल से बुलाता है 
मेरी मजबूरियों पर भी मुस्कुराता है 
मैं रोज़ पार्क से कहती हूं जिस दिन मैं रिटायर हो जाऊंगी 
ख़ुशी-ख़ुशी तुम्हारे परिसर में विचरण करने जरूर आऊंगी 
पार्क मुझे देख कर मुस्कुराता है मैं भी उसे देख कर मुस्कुरा देती हूं 
अपना वादा निभाने का आश्वासन दे देती हूं
उसे भी मेरी मजबूरी समझ आती है 
अपनी डालियों को लहरा कर मेरा अभिवादन कर देता है 
यह कहानी पिछले 19 सालों से चली आ रही है 
इस पार्क ने मुझे बदलते देखा मैंने इसको बदलते देखा है
@_muskurahat_ विचरती कल्पनाएं
मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक पार्क नजर आता है
बड़ा ही मनोरम हृदयस्पर्शी नज़ारा नज़र आता है 
मोटे ,पतले ,जवान ,बुजुर्ग सभी चहल कदमी करते नज़र आते हैं
कुछ बेंच पर बैठे आसन लगाए ध्यान मग्न नज़र आते हैं 
कई चलते-चलते अपने मोबाइल में व्यस्त नजर आते हैं 
कुछ लोगों की ज़ोर से हंसने की आवाज तालियां बजाने की आवाज़
मानो शांत वातावरण में मधुर संगीत घोलती हैं

विचरती कल्पनाएं मेरी स्कूल की खिड़की से विशाल एक पार्क नजर आता है बड़ा ही मनोरम हृदयस्पर्शी नज़ारा नज़र आता है मोटे ,पतले ,जवान ,बुजुर्ग सभी चहल कदमी करते नज़र आते हैं कुछ बेंच पर बैठे आसन लगाए ध्यान मग्न नज़र आते हैं कई चलते-चलते अपने मोबाइल में व्यस्त नजर आते हैं कुछ लोगों की ज़ोर से हंसने की आवाज तालियां बजाने की आवाज़ मानो शांत वातावरण में मधुर संगीत घोलती हैं #Poet #Raj #nojotopoetry #nojotohindi #shares