#OpenPoetry हमने जिसके हर गम को अपना बनाया हैं, कमबख्त उसने हमे ठुकराया है। लाख भूलना चाहूं उसे, हर पल उसी की यादों ने हम रुलाया हैं। कैसे कह दू बेवफ़ा उसे, उससे बिछड़ कर जीना भी उसी ने सिखाया है... कैसे कह दू बेवफ़ा उसे...