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"जब खुद से मिला मैं" जब खुद से मिला मैं, अरे- रे

"जब खुद से मिला मैं"

जब खुद से मिला मैं, 
अरे- रे बहुत हिला मैं।

हिल- हिल के हिलोरें, 
मेरे मन को टटोलें। 

मन, मन को पुकारे, 
पर नहीं वो रुका रे। 

मन रुक- रुक- रुक, 
आ, बाँटें सुख-दुख। 

क्यों इतना डरा रे, 
अरे आ-रे, आ-जा रे। 

कैसे हिम्मत जुटाऊं, 
कि खुद से मिल पाऊं। 

और ग़र मिल जाऊँ, 
तो टिक कहीं पाऊँ? 

अरे कोई तो बताये, 
ये मिलन के उपाय। 

ये उपाय हैं पराए, 
भई सारे मुरझाए। 

सारे- सारे मुरझाए, 
पर कौन खिला रे ? 

ये वो 'मैं' है, हाँ वही 'मैं' है, 
जो मुझ से मिला रे। 

#NaveenMahajan जब खुद से मिला मैं 

#DesertWalk
"जब खुद से मिला मैं"

जब खुद से मिला मैं, 
अरे- रे बहुत हिला मैं।

हिल- हिल के हिलोरें, 
मेरे मन को टटोलें। 

मन, मन को पुकारे, 
पर नहीं वो रुका रे। 

मन रुक- रुक- रुक, 
आ, बाँटें सुख-दुख। 

क्यों इतना डरा रे, 
अरे आ-रे, आ-जा रे। 

कैसे हिम्मत जुटाऊं, 
कि खुद से मिल पाऊं। 

और ग़र मिल जाऊँ, 
तो टिक कहीं पाऊँ? 

अरे कोई तो बताये, 
ये मिलन के उपाय। 

ये उपाय हैं पराए, 
भई सारे मुरझाए। 

सारे- सारे मुरझाए, 
पर कौन खिला रे ? 

ये वो 'मैं' है, हाँ वही 'मैं' है, 
जो मुझ से मिला रे। 

#NaveenMahajan जब खुद से मिला मैं 

#DesertWalk