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मदीना-ए-महोब्बत में बैठ कर रोये, अश्क़ क्या समझेगा

मदीना-ए-महोब्बत में बैठ कर रोये, अश्क़ क्या समझेगा वो

ज़ालिम एक शेर तक न समझा, भला इश्क़ क्या समझेगा वो

                                                  -घन'श्याम वशिष्ठ-
मदीना-ए-महोब्बत में बैठ कर रोये, अश्क़ क्या समझेगा वो

ज़ालिम एक शेर तक न समझा, भला इश्क़ क्या समझेगा वो

                                                  -घन'श्याम वशिष्ठ-