इन प्रश्नों के पार उतर कर साथ तुम्हारे चलता हूँ और तुम्हारी स्वर्णसुगन्धि नित निज प्राणों में भरता हूँ पंथ अनागत क्या अभ्यागत निरत निरन्तर गढ़ता हूँ ये मेरा निर्मेय युक्तियुत कल्पनिशा में ढलता हूँ उर में रहना प्रमुदित चन्द्र! जैसे तुम्हारे इन नयनों में मैं रहता हूँ #toyou#mylove#yqfragerance#yqroses#yqlife#yqyouandme