White प्रणय वृक्ष यदि स्वीकार हूं मैं तो ये पौधा रख लो आम का नहीं लाया हूं फूल के लिए मैं फूल गुलाब का मैं चाहूं ये पौधा बने प्रतीक हमारे प्यार का हम रहें, न रहें प्रेम हमारा हिस्सा रहे संसार का मैं चाहूं तुम संग सींचना इस प्रेम के पौधे को मन जुड़े हमारा और पोषण मिले इस पौधे को मुझे तुम्हारे सौंदर्य या तन से नहीं, मन से प्रेम है मर्यादित हूं मैं, बिना अधिकार स्पर्श से परहेज है तभी यह पौधा साथ लाया हूं प्रेम का नया सलीका भी हाथ लाया हूं जब देर रात आए याद मेरी, इस पौधे को निहारना तुम जब बढ़ने लगे आवेग प्रेम का, स्पर्श इसे करना तुम बस यूं ही हम अपना प्यार जताएंगे जिस धरा पर हम मिले उसे 'प्रणय वृक्ष' दे जाएंगे उसे 'प्रणय वृक्ष' दे जाएंगे। world environment day 🌍 ©Yaminee Suryaja #short_shyari Krishnadasi Sanatani Jajbaat-e-Khwahish(जज्बात)