99. समर्पण ही प्रेम है -2 गर आपका प्रेम ना हुआ आपका, उसकी खुशियों का हिस्सा नहीं आप, तो जुड़ जाओ मन से, तन से जुड़ना भी क्या जुड़ना. प्रेम सच्चा तो समय भी क्या रोके, समर्पित मन तो ईश्वर भी साथ होवे. प्यास दरस की आंखों में, तो चित्र बनाओ मन के भीतर, प्रीत मेरी प्रियतम से, प्रेम हृदय में मार्ग स्वयं लगे, मिलने से न रोके नियति ,ना भगवान. समर्पण ही प्रेम है, प्रेम ही समर्पण है.... #opensky 99th poetry of my creation radha krishna dhara🥰😍🥰😊😊😃☺☺😌😌😌😍😍😍