मैं और कितने गुनाह होते हुए देखू और कब तक मैं बेजुबा रहू, सरेराह ये चंद लोग छेडखानी करके निकल जाते हैं, और समाज़ के नुमाइन्दे बस देखकर निकल आते हैं, जब कत्ल होता है किसी मासूम का , और वो भी उसके बलात्कार के बाद, उसकी माँ और उसके पिता को उस मासूम के जब टुकडे भी नहीं मिल पाते, तब..ये चार लोग.. समाज़ के ठेकेदार.. जो मंच पर खडे होकर चीख़ते चिल्लाते है, उस वक़्त कैसे बेजुबा हो जाते हैं.. मैं कैसे कैसे और कितने गुनाह होते हुए देखू और कब तक मैं बेजुबा रहू, मैं गुनाहो को कैसे गिनाऊ, किसको गिनाऊ,, सब बेजुबा हैं.. मैं कब तक बेजुबा रहू .. मैं कब तक बेजुबा रहू .. ©sheel shahab #internethockey #akverma #sunilkumarsharma #birbhadrakumari #bezubaan