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आज लिख रहा हूँ, फसाना अपनी बेनाम मोहब्बत का! बदनाम

आज लिख रहा हूँ,
फसाना अपनी बेनाम मोहब्बत का!
बदनाम ना होने दूंगा दामन,
मै कभी अपनी मोहब्बत का!!
चल दिया सब कुछ छीपाकर,
तेरे बेदर्द ज़माने से!
अब ना करू जिक्र
अपनी मोहब्बत के बेवफा होने का!!
दर्द कितना भी हो दिल मे
ना अश्क बहने दूंगा आँखों से!
मेरे अश्कों का भी जिक्र होगा,
डरता हूँ नाम ना आ जाए मेरी मोहब्बत का!!

© Deepak Sharma #फ़साना
आज लिख रहा हूँ,
फसाना अपनी बेनाम मोहब्बत का!
बदनाम ना होने दूंगा दामन,
मै कभी अपनी मोहब्बत का!!
चल दिया सब कुछ छीपाकर,
तेरे बेदर्द ज़माने से!
अब ना करू जिक्र
अपनी मोहब्बत के बेवफा होने का!!
दर्द कितना भी हो दिल मे
ना अश्क बहने दूंगा आँखों से!
मेरे अश्कों का भी जिक्र होगा,
डरता हूँ नाम ना आ जाए मेरी मोहब्बत का!!

© Deepak Sharma #फ़साना