ये कांच का गिलास अभी भी जिंदा है, ये मटमैली सी चाय इसमें, अभी भी धुँआ छोड़ती सी रहती है, वो अदरख और मसाले का स्वाद, अभी भी ज़ुबाँ पर दौड़ जाता है, ये चाय अक्सर मुझे मेरे, अतीत से जोड़ ले जाती है। वो बारिश में भीगते हुए आना, और तेरी चाय को ज़ुबाँ से लगाना, वो बैठ कर हँसते हुए बाते करना, कुछ कल का कुछ आज का कहना, सोचता हूँ तो पल सामने नज़र आ जाता है, चाय वही है,बस ज़माना बदल जाता है। वो ठंड में अक्सर बैठते थे हम सब, अंगीठी के पास,हाथ तापने को, और जब वो गरम गरम, मटमैली चाय का गिलास, पकड़ते थे कांपते हाथो से, फिर घुमाकर हथेली के चारो ओर, बातो बातो में उंगलियां गर्म कर लेते थे, देखता हूं जब भी कुहरे को, वो वक़्त याद आ जाता है, ये दोस्तों के साथ बिताए हुए पल, चाय की हर चुस्की के साथ,ताज़ा हो आता है। © ऋषि सिंह #चायकीचुस्की #nojotohindi #nojotoenglish #rkalamse