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गजब का हाल कर लिया है। उसने भी अपना। मेरे डीपी को

गजब का हाल कर लिया है।
 उसने भी अपना।
मेरे डीपी को बार बार देखती है।
मैं भी देखता हूं कौन कौन देखता है।
हर बार देखता हूं बस वही देखती है।।
उसे देखने की खातिर मैं भी डीपी ।
पल पल बदलता हु।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।
Fb पे हर पल प्रोफाइल बदलती है।
हर पल देखती है क्या उसे देखता हूं।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।
कवि आर डी उपाध्याय।। गजब का हाल कर लिया है।
 उसने भी अपना।
मेरे डीपी को बार बार देखती है।
मैं भी देखता हूं कौन कौन देखता है।
हर बार देखता हूं बस वही देखती है।।
उसे देखने की खातिर मैं भी डीपी ।
पल पल बदलता हु।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।
गजब का हाल कर लिया है।
 उसने भी अपना।
मेरे डीपी को बार बार देखती है।
मैं भी देखता हूं कौन कौन देखता है।
हर बार देखता हूं बस वही देखती है।।
उसे देखने की खातिर मैं भी डीपी ।
पल पल बदलता हु।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।
Fb पे हर पल प्रोफाइल बदलती है।
हर पल देखती है क्या उसे देखता हूं।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।
कवि आर डी उपाध्याय।। गजब का हाल कर लिया है।
 उसने भी अपना।
मेरे डीपी को बार बार देखती है।
मैं भी देखता हूं कौन कौन देखता है।
हर बार देखता हूं बस वही देखती है।।
उसे देखने की खातिर मैं भी डीपी ।
पल पल बदलता हु।।
वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।

गजब का हाल कर लिया है। उसने भी अपना। मेरे डीपी को बार बार देखती है। मैं भी देखता हूं कौन कौन देखता है। हर बार देखता हूं बस वही देखती है।। उसे देखने की खातिर मैं भी डीपी । पल पल बदलता हु।। वो मुझे देखती है मैं उसे देखता हूं।।