मन ल धोय बर तोर सुरता म भिंजो के चिभोरे ल परथे , सावन के अगोरा म अषाढ़ ल छिटकना परथे , नरवा के छलकत ले नदिया ल अरझे ल परथे , जब आथे सावन के बदरा पानी मन ल हिलोर मारे ल परथे , सबो जीव जांगर अलथी कलथी मारत रहीथे , नवां पांख फोरके रूख मन अपन संगी सन घिलरत रथे , एके ठन जीव कलहरत रहीथे ,एके ठन जीव कलहरत रहीथे।। #nojotohindi Chhattisgarhiya ,