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एक ऐसा भी वक्त हुआ करता था, मज़बूरी में पापी पेट क

एक ऐसा भी वक्त हुआ करता था,
मज़बूरी में पापी पेट की आग बुझाने के लिए। 

गरीब घरों की बहू बेटियां, छुप
 छुप के बारों में नांचती थी चंद सिक्कों लिए।

आज वक्त ने बदली है करवट, पढ़ 
लिख के गरीब लड़कियां, जी रही हैं शान से,

बढ़ा रही हूं देश का गौरव,और 
खुद मिसाल बन रहीं है एक दूसरे के लिए।

इसके विपरीत अमीरों की बहू 
बेटियां, कर रही है खुल के जिस्म नुमाइश ,

चित्रों से लेके सड़क तक,बिना पैसे 
में सरेआम मजबूर हो रही है नाचने के लिए।

©Anuj Ray
  # एक ऐसा भी वक्त हुआ करता था,
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Anuj Ray

Bronze Star
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# एक ऐसा भी वक्त हुआ करता था, #समाज

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