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बड़े नाराज है मुझसे है रूठे भाग ही मुझसे मैं जिसको

बड़े नाराज है मुझसे
है रूठे भाग ही मुझसे
मैं जिसको भी मनाता हूं
वो ही यू रूठ जाता है
की कीचड़ भी पसंद आए
तो कीचड़ सूख जाता है
मुझे शरदी पसंद आए
तो सूरज माघ में जलता
मुझे गर्मी पसंद आए तो
सूरज डोप जाता है
पकड़ना जिसको जहां चाहूं
 वही वहीं छूट जाता है
जो काटू मैं समय को तो
बड़ी दिन होने लगते हैं
समय की हो जरूरत तो
समय भी रूठ जाता है

©दीपेश
  #WoRaat #निराशा