नारी घर की लक्ष्मी हैं,इसे ना कोई बर्बाद करो। घर की रौनक इससे है,इसको तो आबाद करो।। बहु,बेटी,माँ भी है,ममता की एक मूरत है। पिता के ह्रृदय में बसी,चाँद के जैसे सूरत है।। तुलसी है आँगन की,जो घर-घर पूजी जाती है। मकरंद है फूलों का,भंवरे की मिठास बन जाती हैं चिड़िया जैसी भरे उड़ान,इसे तो आजाद करो। घर की रौनक इससे है,इसको तो आबाद करो।। ©Satish Kumar Meena नारी :घर की लक्ष्मी