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इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं है दो ग़ज ज

इंसान की ख्वाहिशों की कोई इंतहा नहीं है 
 दो ग़ज जमीन भी चाहिए, दो गज कफ़न के बाद

©Mou$humi mukherjee
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