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दरख़्त वो तरसता है इक पंछी को, वहीं खड़ा है सालों से

दरख़्त वो तरसता है इक पंछी को,
वहीं खड़ा है सालों से,
इंतेज़ार हो जैसे उसके लौटने का,
ज़िन्दगी खत्म हो जाती है,
इंतेज़ार खत्म नहीं होता,
जो साँसों में बसते हैं,
ताउम्र उनका ऐतबार खत्म नहीं होता

                               #Dj_beleive
दरख़्त वो तरसता है इक पंछी को,
वहीं खड़ा है सालों से,
इंतेज़ार हो जैसे उसके लौटने का,
ज़िन्दगी खत्म हो जाती है,
इंतेज़ार खत्म नहीं होता,
जो साँसों में बसते हैं,
ताउम्र उनका ऐतबार खत्म नहीं होता

                               #Dj_beleive
dj8047287633198

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