तकलीफ में हूं मदद चाहिये, न पैसा न तेरा वक्त चाहीये, चाहत दी थी बेसुमार तुझे, उसी चाहत का अंश चाहिये, हर दिक़्क़तों में तेरे हम साथ रहे, कंधा जो तुझे दिया अब वह चाहिये, सारे समय जब मिलते थे सुनते रहे तुम्हे, मन हल्का मुझे करने अब तुम्हारा मन चाहिये, शुकुन जो इतने समय पाते रहे तुम साथ हमारे, उसी शुकुन का अब मुझे ब्याज चाहिए, पहले प्यार को भुलाने तुम्हे खूब सहारा दिया कभी, आप को भुलाने अब हमें सहारा वही चाहिए, चल दिये तुम अब उभर गए जो सारी दिक़्क़तों से, अजीब मोड़ पर मुझे छोड़ चले जो अब मेरा ठिकाना चाहिये, नही यह सब दिया था कभी वापिस लेने के लिए, पर चाहत ही न रही तो अब मुझे हिसाब चाहिये, डियर COMRADE ©Ankur Mishra तकलीफ में हूं मदद चाहिये, न पैसा न तेरा वक्त चाहीये, चाहत दी थी बेसुमार तुझे, उसी चाहत का अंश चाहिये,