चाँद कहता है दिदार कर, इस कदर तन्हा हूं....एक तो मुलाकात कर....! रूह का रूह से मुक्म्मल हो ईश्क दुवाओं में मेरी कुछ तो असर कर....., दुनियाँ के रिश्तों में खोया है ऐसे, कभी तो मेरी कमी को महसूस कर.... चाँद की चाँदनी बन के महकुंगी बातों ही बातों में कुछ तो इज़हार कर, आसमा में इतना चमकता है जैसे.... धरती पर आकर कभी मुझ पर भी महर कर।। #merachand😘