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धारणा के लिए मुख्य सार: १.अव्यभिचारी पिताव्रता हो

धारणा के लिए मुख्य सार:
१.अव्यभिचारी पिताव्रता हो रहना है। याद को बढ़ाते बुद्धि को 
पवित्र बनाना है।

२.बाप का युक्तियुक्त परिचय देने की विधि निकालनी है। विचार सागर मंथन कर अल्फ को सिद्ध करना है। निश्चय-बुद्धि बन सेवा करनी है।

©Shishir Rane
  #शिव_के_अनमोल_महा-वाकय$