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क्यों स्वांग रचते हो प्रेम का.. जानती हूँ,पहचानती

क्यों स्वांग रचते हो प्रेम का.. जानती हूँ,पहचानती हूँ...
जो है तुम्हें मोह शरीर का.... यहाँ से मुझे नोंच कर जाना... 
घर जाकर फिर  प्रेम जताना..बदले में फिर भूख मिटाना...
हे पुरुष ! 
खुद को बंधित मत मानना, किसी को समर्पित मत मानना..
तू मनचाही करने का अधिकारी है..
तू बता प्रेम की सब किश्ते,, शोर मचाकर कर दे बयां...
वाहवाही लूट...जो शरीर भोगता रोज नया...
या फिर तू साध ले चुप्पी ,चुपके से कोई चाल चला....
सब छुपा....कुछ न बता...
जाल बिछा, किसी और को प्रेम जता
हे पुरुष
पुरुष होने का सुख तो पा !
तू पाक रहेगा, साफ रहेगा
मत घबरा, बस परंपरा निभा...
अधिकार जता....
मुझको मेरी सीमाएँ बता... सवालों पर पाबन्दी लगा....
जोर से चिल्ला, मेरी सिसकियों का शोर दबा...
हे पुरुष !
अपना अधिकार जता, अपना अधिकार जता....

 #NojotoQuote मर्दानगी का अधिकार
क्यों स्वांग रचते हो प्रेम का.. जानती हूँ,पहचानती हूँ...
जो है तुम्हें मोह शरीर का.... यहाँ से मुझे नोंच कर जाना... 
घर जाकर फिर  प्रेम जताना..बदले में फिर भूख मिटाना...
हे पुरुष ! 
खुद को बंधित मत मानना, किसी को समर्पित मत मानना..
तू मनचाही करने का अधिकारी है..
तू बता प्रेम की सब किश्ते,, शोर मचाकर कर दे बयां...
वाहवाही लूट...जो शरीर भोगता रोज नया...
या फिर तू साध ले चुप्पी ,चुपके से कोई चाल चला....
सब छुपा....कुछ न बता...
जाल बिछा, किसी और को प्रेम जता
हे पुरुष
पुरुष होने का सुख तो पा !
तू पाक रहेगा, साफ रहेगा
मत घबरा, बस परंपरा निभा...
अधिकार जता....
मुझको मेरी सीमाएँ बता... सवालों पर पाबन्दी लगा....
जोर से चिल्ला, मेरी सिसकियों का शोर दबा...
हे पुरुष !
अपना अधिकार जता, अपना अधिकार जता....

 #NojotoQuote मर्दानगी का अधिकार