हर नैया का कोई मांझी,कोई किनारा होता है कौन मेरी तरह इतना बेवश,बेसहारा होता है! लोग भटकते भटकते भी अपने घर तो पहुंचते हैं कौन ताउम्र के लिए बस एक बंजारा होता है!! ©निम्मी #बंजारनसीहोगईहैजिंदगी