आज जिंदगी तुझसे कुछ कहना है, उन प्रेम प्रतीकों से कुछ कहना है, शमशानों मे जलती चिताओं से कुछ कहना है, राख बन गयी हड्डियों की..जो जलकर, उन अस्थियों से कुछ कहना है, कि जलती लपटों से अपनी, सिर उठाकर कुछ तो बोलो, और प्रेम की पुस्तक का, कोई नया कोरा पन्ना खोलो..। अमीरी का एक बच्चा जो एक दिन रोता है, अखबार सारा उसे हँसाने मे उमड़ पड़ता है, गरीबी के बच्चे का ग़म समझता है कौन, वो तो हर पल बिलखता -सिसकता है, चौराहे अपनी फटी मिलकियत बटोरे, सँवारते हैं इनके सपने, रोज पैरों तले रौंदी जाती है जो, आबरू अपनी बचाती है जो, दर्द से कराहती उन सड़कों पर, गुजरता है इनका बचपन..। -AK__Alfaaz.. पूर्ण रचना अनुशीर्षक मे है.. रचना थोड़ी लम्बी है इसलिए कृपया ध्यान से पढ़ें और भावों को समझें..🙏 #एक_जिंदगी_और.. आज जिंदगी तुझसे कुछ कहना है, उन प्रेम प्रतीकों से कुछ कहना है, शमशानों मे जलती चिताओं से कुछ कहना है,