कोई जुर्म नही किया हमने, एक बार ही तो मागा था। न कोई दौलत या जागीर मैने मागी थी, बस तेरा प्यार ही तो मागा था। तु हर रोज मेरे ख्वब में मचलती है, मै तेरे खाब मेंआऊ बस यही इकरार ही मागा था मैं जब भी असमा में देखू, तु मेरा चांद बनकर चमके ये सरकार यही मागा था।✍️❤️ निर्भय प्रताप सिंह ❤️दिल के अलमारी से❤️