घर लौट जा ए परिंदे यहां कोई नहीं अब तेरा इश्क़ में क्या पाया क्या खोया उसका हिसाब ना कर यूं बेवक्त अपना वक़्त बर्बाद ना कर लौट जा यहां से बहुत फरेबी चेहरे हैं मिलते यहां बहुत घाव गहरे हैं क्यों इतनी ठोकरें खा कर भी मन नहीं भरता तेरा लौट जा ए परिंदे यहां कोई नहीं अब तेरा तूफान में उजड़ गईं हैं ये बस्तियां चेहरे पर नकाब है सबके पर सबकी खोकली हैं हस्तियां यहां तुझे कौन अपनाएगा तेरे जख्म पर मरहम लगाएगा एक हल्का सा हवा का झोंका सब कुछ उजड़ देगा तेरा लौट जा ए परिंदे यहां कोई नहीं अब तेरा। ये शहर नहीं जब तेरा लोग होंगे तेरे कैसे झूठ फरेब धोका यहां की हवाओं में है नशा जलन ईर्ष्या इन फिजाओं में है क्यूं सोचता है यहां लोग होंगे तेरे जैसे जिल्लत सहना काम नहीं है तेरा लौट जा ए परिंदे यहां कोई नहीं अब तेरा कुछ जिम्मेदारियां तुझे जाने नहीं देती ना। कुछ यादें ये सब कुछ भुलाने नहीं देती ना। सुन अब इन दिखावे के मकानों से निकल उठ खड़ा हो इन मयखानों से निकल माफ कर दे उसे भी जिसने सब कुछ छीन तेरा लौट जा ए परिंदे यहां अब कोई नहीं तेरा #gif Beghar Parinda