तुम्हारी तिरशी निगाहों ने कलेजा जख्मी कर डाला। मगर तेरी मुस्कुराहट ने घाव सव मेरा भर डाला।। जव भी तू पास होती है सुकूं सा दिल को मिलता है। जव तू दूर जाती है दिल सीने से निकलता है।। रामपाल शर्मा चड़वाल। OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)