पंख जिसे हमने दिए वही आज मुझे उड़ने का हुनर सिखाता है और ताज्जुब होता है उसकी हरकतो को देखकर, सिखकर मोहब्बत हमसे औरो पर आजमाता है छीनकर मुझसे मेरे हिस्से का वक्त कीसी और के संग बिताता है अपनी आँखों से देख ये सब पुछने पर बेवफा का इल्ज़ाम मुझपर ही लगाता है $@m@r Heart hacker