अमावस्या की रात में जैसे अँधेरा रहता हैं तेरे बिना आँखों के सामने अँधेरा रहता हैं तमाम चराग़ ताख में रखे - रखे सूख गए हैं मेरे कमरे में अब चौबीस घंटे अँधेरा रहता है मैं वाक़िफ़ हूँ उसकी झूटी अच्छाइयों से मुझे मालूम हैं चराग़ तले अँधेरा रहता हैं तुम किसको ढूंढ रहे मेरा सीना टटोल कर कुछ नहीं अब इस दिल में अँधेरा रहता हैं #HindiShayari #Sayri