Nojoto: Largest Storytelling Platform

अमावस्या की रात में जैसे अँधेरा रहता हैं तेरे

अमावस्या  की  रात में जैसे अँधेरा रहता हैं 
तेरे  बिना  आँखों के  सामने अँधेरा रहता हैं 

तमाम चराग़  ताख में रखे - रखे सूख गए हैं 
मेरे कमरे में अब चौबीस घंटे अँधेरा रहता है 

मैं  वाक़िफ़  हूँ  उसकी  झूटी  अच्छाइयों से 
मुझे  मालूम  हैं  चराग़   तले अँधेरा रहता हैं 

तुम किसको ढूंढ  रहे  मेरा सीना टटोल कर 
कुछ नहीं  अब  इस दिल  में अँधेरा रहता हैं #HindiShayari  #Sayri
अमावस्या  की  रात में जैसे अँधेरा रहता हैं 
तेरे  बिना  आँखों के  सामने अँधेरा रहता हैं 

तमाम चराग़  ताख में रखे - रखे सूख गए हैं 
मेरे कमरे में अब चौबीस घंटे अँधेरा रहता है 

मैं  वाक़िफ़  हूँ  उसकी  झूटी  अच्छाइयों से 
मुझे  मालूम  हैं  चराग़   तले अँधेरा रहता हैं 

तुम किसको ढूंढ  रहे  मेरा सीना टटोल कर 
कुछ नहीं  अब  इस दिल  में अँधेरा रहता हैं #HindiShayari  #Sayri