प्रिये दादा जी जबसे गये हैं हमें छोड़ कर,यह घर सूना लगता है आपके होने से रौनक थी,अब त्योहार भी आप बिन खलता है ऐनक रखा है अलमारी पर,दीवार पर बेंत टगीं हुई है इस घर की हर दीवारों पर याद आपकी रंगी हुई है तब कहानियाँ आपसे सुनते थे ,अब किस्से सब आपके सुनाते हैं हमारे बाबू ऐसे थे,हमारे बाबू वैसे थे अब सबको यह बताते हैं कमरे में अब जब जब जाते हैं,बिस्तर पर कोई दिखता न दिल गुमसुम सा हो जाता,आंसू आँखों से रूकते न जाने कहाँ चले गये हैं आप,रास्ता भी अब कोई दिखता न बैठकर बातें करने को आपसे ,मन यह करता है बस घर ही नहीं खाली,पूरा जीवन खाली सा लगता है हो सके तो लौट आइये न फिर ईश्वर से झगडा़ कर के हम सब बिन आपके कोरे कागज़ से लगते हैं #nojoto#grandfather