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.. यों तो नहीं कि मुनासिब न रहीं, इतमीनान क्यों मग

.. यों तो नहीं कि मुनासिब न रहीं,
इतमीनान क्यों मगर मह्दूद रही..! 

.. याद नस्लों को अता नेमतें रही, 
आमद तौफ़ीक़ मगर गुम सी रहीं..!

 .. 🌿 खुशामदीद.. 💞  

मह्दूद माने, सीमित, कतिपय। आमद माने, आगमन, आय, आवक। तौफ़ीक़ माने, ईश्वर की कृपा, सामर्थ्य।
.. यों तो नहीं कि मुनासिब न रहीं,
इतमीनान क्यों मगर मह्दूद रही..! 

.. याद नस्लों को अता नेमतें रही, 
आमद तौफ़ीक़ मगर गुम सी रहीं..!

 .. 🌿 खुशामदीद.. 💞  

मह्दूद माने, सीमित, कतिपय। आमद माने, आगमन, आय, आवक। तौफ़ीक़ माने, ईश्वर की कृपा, सामर्थ्य।
anindyadey6947

Anindya Dey

New Creator