.. यों तो नहीं कि मुनासिब न रहीं, इतमीनान क्यों मगर मह्दूद रही..! .. याद नस्लों को अता नेमतें रही, आमद तौफ़ीक़ मगर गुम सी रहीं..! .. 🌿 खुशामदीद.. 💞 मह्दूद माने, सीमित, कतिपय। आमद माने, आगमन, आय, आवक। तौफ़ीक़ माने, ईश्वर की कृपा, सामर्थ्य।