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अब्सार न छोड़े अगर आब-ए-चश्म, तो लबों पर इब्तिसाम क

अब्सार न छोड़े अगर आब-ए-चश्म,
तो लबों पर इब्तिसाम की इश्राक़ कैसे छाए?
आज़र्दाह-सी इश्तियाक़ ख़फ़ा हो भी अगर, 
तो इत्तिहाम की इनाद किससे जताए? 

नोट:
अब्सार=आंखें,
        आब-ए-चश्म= आंसू
                     इब्तिसाम= मुस्कुराहट,
                      इश्राक़= प्रभात, चमक
आज़र्दाह= उदास
इश्तियाक़= चाह
                     इत्तिहाम= दोष     
                      इनाद= विरोधता।

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Nojoto #आब_ए_चश्म #मंजुलाहृदय #Rekhasharma
अब्सार न छोड़े अगर आब-ए-चश्म,
तो लबों पर इब्तिसाम की इश्राक़ कैसे छाए?
आज़र्दाह-सी इश्तियाक़ ख़फ़ा हो भी अगर, 
तो इत्तिहाम की इनाद किससे जताए? 

नोट:
अब्सार=आंखें,
        आब-ए-चश्म= आंसू
                     इब्तिसाम= मुस्कुराहट,
                      इश्राक़= प्रभात, चमक
आज़र्दाह= उदास
इश्तियाक़= चाह
                     इत्तिहाम= दोष     
                      इनाद= विरोधता।

©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #Nojoto #आब_ए_चश्म #मंजुलाहृदय #Rekhasharma