स्वाभिमान की जंग में बात ज़ब भी स्वाभिमान की आती है हिम्मत तोड़ औरत को पछाड़ने आगे इक औरत ही जाने क्यों आती है / पुरुष को बना ढाल वो अपने स्वार्थ सिद्ध करेगी इस छल -कपट की जंग में औरत ही तो पल -पल मरेगी / सहती आयी जो वो जाने कब से उसे फिर ना जाने क्यों पीढ़ी दर पीढ़ी आगे करेगी तोड़ बेड़ियों के बंधन न आगे बड़ी है न बढ़ेगी खुद भी कष्ट सही औरत अत्याचार जाने क्यों औरों पे भी वह करेगी यह बना ली रस्म -प्रथा उसने जाने अब यह कब तक चलेगी / ©Ishu ❤ #कड़वा सच #findyourself