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तुम्हें ढूँढता हूँ घर के आंगन में, तुम्हें ढूँढता

तुम्हें ढूँढता हूँ घर के आंगन में, 
तुम्हें ढूँढता हूँ माँ की गोद में, 
तुम्हें ढूँढता हूँ पापा के कंधो पे, 
तुम्हें ढूँढता हूँ गांव की गलियों में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
इतना क्यूँ खफा एक पल लिए आना, 
तुम्हें ढूँढता हैं ढुंढा नादान दोस्त खिलाड़ियों में, 
तुम्हें ढूँढता है स्कूल आँगनबाड़ीयां में, 
तुम्हें ढूँढता है बचपन से जवानी की पढीयां में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
तुम्हें ढूँढता है कालेज की क्लासो में, 
कभी ढूँढा हैं पुरानी बस्ती में, 
तुम्हें ढूँढा है पुरानी बस्ती में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
जवानी के क्या क्या दस्तूर हो गये, 
दोस्तों से लेेकर माँ - बाप दुर हो गये, 
अपनें गाँव के गलियारे हम से दुर हो गये, 
जब याद आता है माँ की गोद में खिलाना, 
पापा के कंधो का घोड़ा बनाना, 
आँखों को थाम कर फिर वो ख्याब दिखाना, 
ऐ बचपन एक बार एक बार लौट कर आना ।। #champapur1shayar #sad #sanjay1champapur #love #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #apanakalamasanjay 


i love childhood
तुम्हें ढूँढता हूँ घर के आंगन में, 
तुम्हें ढूँढता हूँ माँ की गोद में, 
तुम्हें ढूँढता हूँ पापा के कंधो पे, 
तुम्हें ढूँढता हूँ गांव की गलियों में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
इतना क्यूँ खफा एक पल लिए आना, 
तुम्हें ढूँढता हैं ढुंढा नादान दोस्त खिलाड़ियों में, 
तुम्हें ढूँढता है स्कूल आँगनबाड़ीयां में, 
तुम्हें ढूँढता है बचपन से जवानी की पढीयां में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
तुम्हें ढूँढता है कालेज की क्लासो में, 
कभी ढूँढा हैं पुरानी बस्ती में, 
तुम्हें ढूँढा है पुरानी बस्ती में, 
ऐ बचपन जरा सा लौट के आना ।
जवानी के क्या क्या दस्तूर हो गये, 
दोस्तों से लेेकर माँ - बाप दुर हो गये, 
अपनें गाँव के गलियारे हम से दुर हो गये, 
जब याद आता है माँ की गोद में खिलाना, 
पापा के कंधो का घोड़ा बनाना, 
आँखों को थाम कर फिर वो ख्याब दिखाना, 
ऐ बचपन एक बार एक बार लौट कर आना ।। #champapur1shayar #sad #sanjay1champapur #love #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #apanakalamasanjay 


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