✍✍कविता 🐦🦜 कड़ी धूप में, घूम रही है, आसरा अपना ढूँढ रही है, चाहत नहीं घोंसले की, पर रास्ता मंजिल का,पूछ रही है,, बंदिशों के दायरे में, पकड़ कर रखा है, आजाद करो उसके तोते को, मैना के अश्रुओं में, आजादी की, अब यही गज़ल गूंज रही है।। ©Writer Veeru Avtar पुकार