अंगड़ाइयां उसके बदन की , बदले मौसम का ईमान, वो बेखबर क्या जाने दिल के अरमान, यह रुत कैसी आयी, प्यार मोहब्बत साथ लाई, जहां सनम मेरा, वहां हर रुत बसंत समान, गर महबूब को बसंत बोलू तो गलत ना होगा, मेरा, हम-नशी, बेअंत हैं , मानो बसंत हैं यह COLLAB के लिए खुला है।✨💫 अपने सुसज्जित विचारों व शब्दों के साथ इस पृष्ठभूमि को सजायेंl✒️✒️ • PROFOUND WRITERS द्वारा दी गई इस चुनौती को पूरा करें। 💎 • अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर इस अद्भुत पृष्ठभूमि की सुंदरता बढ़ाएं।