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बहकी हुई ख्वाहिशे महक रहा था फूल... फिर चुपके से ए

बहकी हुई ख्वाहिशे महक रहा था फूल...
फिर चुपके से एक भवरा बैठा ही था उस कली पर...
अचानक से तेज हवाओं ने उसे हटने पर मजबूर कर दिया.. 
हवाये तेज थी पेड़ की नाजुक पत्तियों पर इठलाती हुई कुछ बूंद गिरी..
फिर जो हुआ क्या कहूँ आसमां से बर्फ के छोटे टुकड़ो 
फिर गुलजारियां खत्म हुई...
अब मौसम शांत है....🖋🖋🖋
            आपका अपना 
                                         राहुल देव "आजाद" #azad
बहकी हुई ख्वाहिशे महक रहा था फूल...
फिर चुपके से एक भवरा बैठा ही था उस कली पर...
अचानक से तेज हवाओं ने उसे हटने पर मजबूर कर दिया.. 
हवाये तेज थी पेड़ की नाजुक पत्तियों पर इठलाती हुई कुछ बूंद गिरी..
फिर जो हुआ क्या कहूँ आसमां से बर्फ के छोटे टुकड़ो 
फिर गुलजारियां खत्म हुई...
अब मौसम शांत है....🖋🖋🖋
            आपका अपना 
                                         राहुल देव "आजाद" #azad