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बात लब तक आकर भी रुक जाती है  जब वह घर की स्थिति स

बात लब तक आकर भी रुक जाती है 
जब वह घर की स्थिति से परिचित हो जाती है 

ख्वाहिश नहीं जताती ,अपने सारे शौक़ को 

अपने अंदर ही दफ़न कर देती है, अपनी जिम्मेदारियों को वह 
हर हालात में निभाती है ,बीमार हो या दर्द से कराहती हो 

अपने से अपने अपनों की ख़ुशियो का 
हर जरुरत का ख्याल रखती है 

युही नहीं कहते,की लड़कियों में बहुत सहनशक्ति होती है

 इतने सरल स्वभाव की होकर भी लड़की का मन समझना 
उतना ही मुश्किल है जैसे बहते जल में  स्वयं का
    अपना प्रतिबिंब देखना ।

©Poonam Nishad
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