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महबूब की इक झलक को रहते हैँ जो बेकरार , पी लें बेश

महबूब की इक झलक को रहते हैँ जो बेकरार ,
पी लें बेशक आँखों से समन्दर ,
 प्यास फिर भी रहती है  बरकरार ....... Pyas
महबूब की इक झलक को रहते हैँ जो बेकरार ,
पी लें बेशक आँखों से समन्दर ,
 प्यास फिर भी रहती है  बरकरार ....... Pyas