एक तस्वीर मेरे दिल मे नारी बन कर रहती है "नारी" हूँ मैं नारि'' नहीं, आज बात ये कहती हूँ || भाव व्यथ के सभी, मैं प्रेषित करती हूँ || समझ सके न जो इस दिल को,उन लोगों से ही डरती हूँ नन्ही, तनुजा से अनुजा ,फिर सखी सहेली बनती हूँ || "ब्याह", रचा कर के दूजे घर, में "वामा" बनकर सजती हूँ || "नारी" हूँ मैं नारि" नहीं आज बात ये कहती हूँ --- मुझसे ये "जीवन" सारा "सृष्टि"मुझसे चलती है || कर "धारण" एक "शून्य" को "नव शिशु" भी मैं ही जनती हूँ नारी हूँ मैं नारि नही आज बात ये कहती हूँ ----- निजी, आँचल के "पय से तुझको तृप्त, मैं ही करती हूँ || तेरे "अनागत" के खातिर सारे सुख मैं ही तजती हूँ !! समझ सके,न जो इस दिल,को उन लोगो से डरती हूँ लिप्सा,न कोई "राज महल" की तू ही मेरा "प्राण प्रिय" बस यही,खज़ाना रखती हूँ || देती "मैं " परीक्षा हर कर्मों की ,मैं ही आहे भरती हूँ !! हो जाती गर भूल जरा सी, वचन कटु मैं ही सुनती हूँ || " नारी" हूँ मैं नारि" नही आज बात ये कहती हूँ --- "संघर्षों के जीवन में क्यों खड़ी अकेली चलती हूँ मिल जाये बस प्यार जरा सा ,यही मैं आशा करती हूँ !! नारी हूँ मैं नारि नही आज बात ये कहती हूँ समझ सके न जो इस दिल को उन लोगों से डरती हूँ एक तस्वीर मेरे दिल मे नारी बनकर रहती है #रेखा मौर्या (सहर)! ©Rekha (sahar) #नारी_हूँ_मैं #Woman kundan dubey Ub.Raj Navnath