दो पल की है ये ज़िंदगानी, न जाने कब हो जाएगी किसकी ख़त्म कहानी। कर देते हैं माफ़ भुला देते हैं गुनाह, चलो चलें न एक सफ़र पे जिसका सीधा है राह। हँस लेते हैं, हँसा देते हैं, हँसने के ज़नाब पैसे थोड़ी लेते हैं। थोड़ा तुम दुःख बाँट लो, थोड़ा किसी का सुन लो, मस्तमोले हो कर जी लें चलो! ज़िन्दगी बीताने की जगाह जीने को चुन लो। यह COLLAB के लिए खुला है।✨💫 अपने सुसज्जित विचारों व शब्दों के साथ इस पृष्ठभूमि को सजायेंl✒️✒️ • PROFOUND WRITERS द्वारा दी गई इस चुनौती को पूरा करें। 💎 • अपने दिल की भावनाओं को शब्दों में पिरोकर इस अद्भुत पृष्ठभूमि की सुंदरता बढ़ाएं।