मन मंदिर में मोहक मूरत मनमीत मनोहर मुरारी की श्याम रंग के श्यामको पूजे शांत सुकोमल राधाजी प्रीत में जिसकी पीड़ा हरले प्राणप्रिया मधुसूदन की रग रग में जब श्याम बसे हो रास न आवे रीत जगत की स्वर्ण सी ओजस मुखमंडल पर काली घटा लहराई जब पल पल के पालनहार ने देखो घनी जुल्फ उनकी सँवारी तब एक थी धारा प्रेम रंग की दूजी धारा मनमीत की रे धारा तिजी भक्ति भाव की प्रभु को सबसे न्यारी रे देख अनोखी प्रीत जगत की मनमयूर हर्षाया था राधाजी के श्वास मुरारी तो श्याम का तन मन राधा था मन मंदिर में मोहक मूरत मनमीत मनोहर मुरारी की श्याम रंग के श्यामको पूजे शांत सुकोमल राधाजी प्रीत में जिसकी पीड़ा हरले प्राणप्रिया मधुसूदन की