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बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर, बस तन्हाईयों में गुज़र

बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर,
बस तन्हाईयों में गुज़र गई!
इंतज़ार करती रही थी वो रात भर,
बेरुख़ी में वो सिमटती गई!
वो पन्ने पलटती रही उस रात भर,
इस बात पर क़लम रूठ गई! बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर,
बस तन्हाईयों में गुज़र गई!
इंतज़ार करती रही थी वो रात भर,
बेरुख़ी में वो सिमटती गई!
वो पन्ने पलटती रही उस रात भर,
इस बात पर क़लम रूठ गई!
बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर,
बस तन्हाईयों में गुज़र गई!
इंतज़ार करती रही थी वो रात भर,
बेरुख़ी में वो सिमटती गई!
वो पन्ने पलटती रही उस रात भर,
इस बात पर क़लम रूठ गई! बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर,
बस तन्हाईयों में गुज़र गई!
इंतज़ार करती रही थी वो रात भर,
बेरुख़ी में वो सिमटती गई!
वो पन्ने पलटती रही उस रात भर,
इस बात पर क़लम रूठ गई!
ashisaxena2926

Ashi Saxena

New Creator

बड़ी बेचैनी भरी थी उस रात भर, बस तन्हाईयों में गुज़र गई! इंतज़ार करती रही थी वो रात भर, बेरुख़ी में वो सिमटती गई! वो पन्ने पलटती रही उस रात भर, इस बात पर क़लम रूठ गई!