खुशियों की तमन्ना ही नहीं ग़म की भी आरज़ू रखता हूँ लफ़्ज़ों में मिश्री घुली हुई है मैं ज़हर भी खूब चखता हूँ १६/०९/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' खुशियों की तमन्ना ही नहीं ग़म की भी आरज़ू रखता हूँ लफ़्ज़ों में मिश्री घुली हुई है मैं ज़हर भी खूब चखता हूँ १६/०९/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क'