गंभिरता जिन्दगी मे क्या आई मुस्कुराना भूल गये । मन्जिल पाने की चाहत मे सब कुछ पिछे छोङ आये क्या सच्च मे हम बहूत आगे निकल आये क्या सच्च मे हम बहूत आगे निकल आये