मैं सोचता हूँ यह हकीकत स्वप्न हो मेरा मैं जागूं निद्रा से पास बचपन हो मेरा ऐसा हो कि #गुजरे_हुए_लम्हे में लौट जाऊँ दौलत की न हो आरजू यही धन हो मेरा हर बड़ी उलझन को चुटकी में सुलझाऊँ दिल की बात सबको चिल्लाकर बतलाऊँ सब मुझे दुलार करे थोड़ा सा लाड़ करे शैतानियों के लिए खुला आंगन हो मेरा पापा की डांट सुनुं झट से डर जाऊँ मैं मम्मी के आंचल में जाकर छुप जाऊँ मैं पापा तलाशने का इक झूठा प्रयास करें बस इसी पल में कैद सारा जीवन हो मेरा भैया से झगड़ा करूँ इक टाॅफी के लिए बहना के बाल नोंचू महज़ माफी के लिए फिर दोनों को मनाऊँ इक दूजे से लड़ाऊँ इस ढिसूम ढिसूम की फिल्म से फन हो मेरा दादा की सीख हो दादी की हों कहानियाँ चाचा और बुआ की बढ़ाऊं परेशानियाँ कूद फांदकर घर को अपने सिर पे उठा लूँ परेशान करूँ सबको और मनोरंजन हो मेरा #हया से न हो कोई #ताल्लुक घूमूं नंग-धुड़ंग धमाचौकड़ी करता फिरूं अपने यारो के संग दिलमें उनके बस जाऊँ और दिल में उन्हें बसा लूँ बस इसी मौज मस्ती से भरा जीवन हो मेरा #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #बचपन #कविता #nojoto #nojotohindi #poem #childhood